Khatushyam Mandir:About Khatushyamji In Hindi
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Khatu shyam ji History in Hindi, Khatu shyam ji ka itihas कौन हैं बाबा खाटू श्याम, जानिए खाटूश्यामजी का इतिहास
खाटू मेला 2019 के मौके पर जानिए राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाटू के नरेश खाटूश्यामजी को पूरी दुनिया में शीश के दानी के नाम से भी क्यों जाना जाता है?खाटूश्यामजी (सीकर). बाबा श्याम। हारे का सहारा। लखदातार। खाटूश्यामजी। नीले घोड़े का सवार। मोर्विनंदन। खाटू नरेश और शीश का दानी। जितने निराले बाबा श्याम के नाम और भक्त हैं। उतना ही रोचक इनका इतिहास है। खाटू मेला 2018 के मौके पर जानिए राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाटू के नरेश खाटूश्यामजी को पूरी दुनिया में शीश के दानी के नाम से भी क्यों जाना जाता है?। कौन हैं खाटूश्यामजी। कैसे बने बाबा श्याम। इन सबके पीछे कौनसी पौराणिक कथा है?।
Khatu shyam ji History in Hindi:खाटूश्यामजी की कथा
-कौरव वंश के राजा दुर्योधन नेनिर्दोष पाण्डवों को सताने और उन्हें मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण किया था, पर सौभाग्यवश वे उसमें से बच निकले और वनवास में रहने लगे।
-एक समय जब वे वन में सो रहे थे उस स्थान के पास ही एक हिडम्ब नामक राक्षस अपनी बहन हिडिम्बी सहित रहता था। तब उनको मनुष्य (पाण्डवों) की गंध आई तो उन्हें देखकर यह राक्षस अपनी ***** से बोला इन मनुष्यों को मारकर मेरे पास ले आओ।
-अपने भाई के आदेश से वह वहां आई जहां पास ही सभी भाई द्रोपदी सहित सो रहे थे। और भीम उनकी रक्षा में जग रहा था। भीम के स्वरूप को देखकर हिडिम्बी उस पर मोहित हो और मन में यह सोचने लगी मेरे लिए उपयुक्त पति यही हो सकता है।
-उसने भाई की परवाह किए बिना भीम को पति मान लिया। कुछ देर बाद हिडिम्बी के वापस न लौटने पर हिडिम्बासुर वहां आया और स्त्री के सुन्दर भेष में अपनी ***** को भीम से बात करता देख क्रोधित हुआ।
-तत्पश्चात हिडिम्बी के अनुनय विनय से माता कुन्ती व युधिष्ठिïर के निर्णय से दोनों का गन्धर्व विवाह हुआ। उपरोक्त अवधि के अन्तर्गत हिडिम्बी गर्भवती हुई और एक महाबलवान पुत्र को जन्म दिया। बाल रहित होने से बालक का नाम घटोत्कच रखा गया।
-हिडिम्बा ने कहा कि मेरा भीम के साथ रहने का समय समाप्त हो गया है और आवश्यकता होने पर पुन: मिलने के लिए कह वह अपने अभिष्ठï स्थान पर चली गई। साथ ही घटोत्कच भी सभी को प्रणाम कर आज्ञा लेकर उतर दिशा की और चला गया।
-जल्द ही कृष्ण के कहने पर मणिपुर में मुरदेत्य की लडक़ी कामकंटका से गन्धर्व विवाह हुआ व कुछ समय व्यतीत होने के पश्चात उन्हें महान पराक्रमी पुत्र को जन्म दिया जिसके शेर की भांति सुन्दर केशों को देखकर उसका नाम बर्बरीक रखा।
-बल की प्राप्ति के लिए उसने देवियों की निरन्तर आराधना कर तीनों लोको में किसी में ऐसा दुर्लभ अतुलनीय बल का वरदान पाया। देवियों ने बर्बरीक को कुछ समय वहीं निवास करने के लिए कहा और कहा कि एक विजय नामक ब्राह्मïण आएंगे। उनके संग में तुम्हारा और अधिक कल्याण होगा।
-आज्ञानुसार बर्बरीक वहां रहने लगा। तब मगध देश के विजयी नामक ब्राह्मïण वहां आये और सात शिव्लिंगों की पूजा की साथ ही विद्या की सफलता के लिए देवियों की पूजा की। ब्राह्मïण को स्वप्न में आकर कहा कि सिद्घ माता के सामने आंगन में साधना करो बर्बरीक तुम्हारी सहायता करेगा।
-ब्राह्मïण के आदेश से बर्बरीक ने साधना में विघ्न डालने वाले सभी राक्षसों को यमलोक भेज दिया। उन असुरों को मारने पर नागों के राजा वांसुकि वहां आए और बर्बरीक को दान मांगने के लिये कहा।
-तब बर्बरीक ने विजय की निर्विघ्न तपस्या सफल हो यही वर मांगा। ब्राह्मïण की तपस्या सफल होने पर उसने बर्बरीक को युद्घ में विजयी होने का वरदान दिया। तत्पश्चात विजय को देवताओं ने सिद्घश्चर्य प्रदान किया तब से उनका नाम सिद्घसेन हो गया।
-कुछ काल बीत जाने के बाद कुरूक्षेत्र मैदान में कौरवों और पाण्डवों के बीच में युद्घ की तैयारियां होने लगी। इस अवसर पर बर्बरीक भी अपने तेज नीले घोड़े पर सवार होकर आ रहे थे।
-तब रास्ते में ही भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मïण के भेष में उसके पास पहुंचे। भगवान ने बर्बरीक की मन की बात जानने के लिए उससे पूछा कि तुम किसकी और से युद्घ लडऩे आए हो तब बर्बरीक ने कहा कि जो कमजोर पक्ष होगा उसकी ओर से युद्ध में लडूंगा।
-भगवान ने बर्बरीक से कहा कि तुम तीन बाणों से सारी सेना को कैसे नष्टï कर सकते हो? तब बर्बरीक ने कहा कि सामने वाले पीपल वृक्ष के सभी पत्ते एक बाण से ही निशान हो जाए और दूसरा उसे बेध देगा।
-कृष्ण ने मुट्ठी व पैर के नीचे दो पत्ते छिपा लिए पर देखते ही एक बाण से क्षण भर में सब पत्ते बिंध गए तब श्री कृष्ण ने देखा वास्तव में यह एक ही बार में सबको यमलोक भेज सकता है।
-तब ब्राह्मïण बने श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से याचना की तब बर्बरीक ने कहा हे! ब्राह्मïण क्या चाहते हो तब श्रीकृष्ण ने कहा कि क्या सबूत है जो मैं मांगूगा वह मुझे मिल जायेगा।
-तब बर्बरीक ने कहा जब वचन की बात की है तो तुम प्राण भी मांगोगे तो मिल जायेंगे। तो ब्राह्मïण के भेष में नटवर बोले मुझे तुम्हारा शीश का दान चाहिए।
-यह सुनकर बर्बरीक स्तब्ध रह गए और बोले मैं अपना वचन सहर्ष पूरा करूंगा पर सत्य कहो आप कौन हो तब कृष्ण ने अपना विराट स्वरूप बताते हुए कहा कि मैंने यह सोचा कि यदि तुम युद्घ में भाग लोगे तो दोनों कुल पूर्णतया नष्टï हो जाएंगे।
-तब बर्बरीक ने कहा कि आप मेरा शीश का दान तो ले लीजिए पर मेरी एक इच्छा है कि मैं युद्घ को आखिर तक देख सकूं। तब भगवान ने कहा कि तुम्हारी यह इच्छा पूरी होगी तब बर्बरीक ने अपना शीश धड़ से काटकर दे दिया।
-शीश को अमृत जडिय़ों के सहारे पहाड़ के ऊंचे शिखर पीपल वृक्ष पर स्थापित कर दिया। 18 दिन तक चले युद्घ में पाण्डवो
Gyras or Ekadashi of full moon day is very important date for every shyam devotee , on this day they take fast and doing special poojan of Khatu Shyam ji . Here we are providing ekadasmi dates in 2018 and 2019 .Special Sight is arranged at Khatu Shyam Temple on every Shukal Paksh Gyaras .On Every Shukal Paksh Gyaras , Whole Khatu shyam ji Mandir is full of glorious chants and devotees of baba khatushyam comes from all around the India.
Gyras or Ekadashi dates in 2018 and 2019
Gyras or Ekadashi of full moon day is very important date for every shyam devotee , on this day they take fast and doing special poojan of Khatu Shyam ji . Here we are providing ekadasmi dates in 2018 and 2019 .Special Sight is arranged at Khatu Shyam Temple on every Shukal Paksh Gyaras .On Every Shukal Paksh Gyaras , Whole Khatu shyam ji Mandir is full of glorious chants and devotees of baba khatushyam comes from all around the India.
Khatu Shyam Ji Janmotsav (BirthDay ) will be celebrated on Kartik Shukal Ekadashi
Date | Ekadashi Fast (Vart) |
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March 27 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
March 13 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
April 26, 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
April 12, 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
May 25 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
May 11 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
June 23 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
June 10 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
July 23 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
July 09 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
August 22 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
August 07 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
September 20 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
September 06 , 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
October 20 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
October 05, 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
November 19 , 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
November 03, 2018 | Krishn Pakshi Gyarash |
December 18, 2018 | Shukal Pakshi Gyarash |
December 03, 2019 | Krishn Pakshi Gyarash |
January 17, 2019 | Shukal Pakshi Gyarash |
January 31, 2019 | Krishn Pakshi Gyarash |
Februry 16 , 2019 | Shukal Pakshi Gyarash |
March 2, 2019 | Krishn Pakshi Gyarash |
March 17, 2019 | Shukal Pakshi Gyarash |