Nirjala Ekadashi Vrat Katha-निर्जला एकादशी व्रत कथा
Nirjala Ekadashi falls in the month of Jyestha in the Shukla paksha (June), therefore it is also called "Jyeshtha Shukla Ekadashi" or "Bhimsani Ekadashi" (Bhim sen, the second Pandava Brother, had observed this difficult fast). Amongst the 24 Ekadashi's observed throughout the year, the fast (Vrat) observed on Jyeshtha Shukla Ekadashi is considered to be the most beneficial, if one properly observes a fast on this day it is said to give the fruits of 24 Ekadashi observed throughout the year. Complete fast is observed on this day with even water not being taken. People observe strict fast and offer pooja to Lord Vishnu to ensure happiness, prosperity and forgiveness of transgressions and sins. On the preceding day that is on the 10th lunar day, Sandhya (evening prayer) is performed and only one meal is taken.
साल की सभी एकादशीयों में निर्जला एकादशी बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इसे 'पांडव एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में बिना पानी पिये उपवास किया जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत 2016 (Nirjala Ekadashi vrat 2016 in Hindi)
निर्जला एकादशी व्रत साल 2016 में 16 जून, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी व्रत विधि (Nirjala Ekadashi vrat Vidhi in Hindi)
निर्जला एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले यानि दशमी के दिन से ही नियमों का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन "ॐ नमो वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन गोदान का विशेष महत्त्व है। निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्त्व होता है ।
द्वादशी को तुलसी के पत्तों आदि से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा- पाठ के बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा तथा कलश सहित विदा करना चाहिए। अंत में भगवान विष्णु तथा कृष्ण का स्मरण करते हुए स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्त्व (Importance of Nirjala Ekadashi vrat in Hindi)
पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल एकादशी को यानि निर्जला एकादशी के दिन व्रत करने से सभी तीर्थों में स्नान के समान पुण्य मिलता है। इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, जौ, गाय, जल, छाता, जूता आदि का दान देना शुभ माना जाता है।
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