Shekhawati University,Sikar

Saturday 24 September 2016

JIN MATA TEMPLE SIKAR,RAJASTHAN



Jeen Mata Temple Dham Sikar Rajasthan India

Jin Mata (Jeen Mata) Temple is situated in Raiwara, District: Sikar, Rajasthan. The place can easily be accessed from Jaipur just 110 Km far. Among oldest worship places in Rajasthan, India. Millions of devotees visit the dham during the year, & main attractions are Navratra, that occurs bi-annually. In english calendar Month of April and November.
Jeen Mata Temple Dham Sikar Rajasthan India


Rajasthan is land of worship for many deities, like Shri Salasar balaji hanuman temple, Shri Shri Khatu Shyam Baba temple, Shri Pushkar Ji, the only temple of Brahmaji in world and Gharib Nawaz Khwaja at Ajmer. Maa Durga is worshipped in various Avataars & Roop. Jeen Mata is among various Roop of Maa Durga.
Jin Mata is also famous for fulfilling wishes of her devotees, and is popularly knowns as MANAT WALI MATA Mother who fulfill wishes.

Jeen Mata Dham is an organisation mainly arranging and working for the development of the JEEN MATA Parisar Premises. During Jeen Mata temple Fair ,Melas, Jeen Mata Dham arranges for temporary canteen during  Jeen Mata Mela period and provides for quality food at very nominal or subsidized rates for devotees and visitor, those who have come from far flung places, for Jeen Mata temple Darshan.  Several Non-profit and charitable trust have mushroomed providing lodging facility free of charge to thousand of devotees. Shri GANESH MANDIR DHARAMSALA is one of the best & beautiful Dharam Sala I have ever Stayed.

JEEN MATA KA MANDIR माँ जीण का भव्य मंदिर

माँ जीण !कलयुग! में शक्ति के  अवतार का भव्य मंदिर  सीकर जीले की  रेवासा पहाडियों में स्थित है। ये जयपुर (राजस्थान ) से लगभग 115 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है॥ ये भव्य मंदिर  चारों  तरफ़ से ऊँची ऊँची पहाडियों से घिरा हुआ है। बरसात हो या  सावन का महिना इन दिनों  पहाडो की हरियाली देखने  लायक होती है। राष्ट्रिय  राजमार्ग 11 से ये लगभग 10 या 12 किलोमीटर की दुरी पर है। जहाँ राणोली  से माता के दरबार में दर्शन के लिए अच्छी सड़क बनाई गयी है.

जीण माता के इतिहास के बारे में अभी कोई सही जानकारी नहीं है . लेकिन कहा और सुना जाता है की माता का मंदिर लगभग १०० साल पुराना है.
कथनानुसार जीण माता का अवतार चुरू जीले के घांघू गाँव में हुआ था। जीण माता के बड़े भाई का नाम हर्ष था । माता जीण को दुर्गा माँ शक्ति का अवतार माना गया है और हर्ष को भगवन शिव का अवतार माना गया है॥ कहते है की दोनों बहन भाइयो में बहुत प्यार था लेकिन जीण माता की भाभी के कारण जीण माता ने अपना घर त्याग दिया .और इन पहाडियों पर आकर तपस्या करने लगी .और  पीछे पीछे हर्षनाथ भी अपनी लाडली बहन को मानाने के लिए आए लेकिन जीण माता जीद्द करने लगी साथ जाने से मना कर दिया ।
 हर्षनाथ का मन बहुत उदास हो गया और उन्होंने कहा की बहन तू नहीं जाएगी तो में भी नहीं जाउगा और  वे भी वहां से कुछ दूर जाकर वहां पर तपस्या करने लगे।

दोनों भाई बहन के बीच हुई बातचीत का सुलभ वर्णन आज भी राजस्थान के लोक गीतों में मिलता है॥
भगवन हर्षनाथ का भव्य मन्दिर आज भी राजस्थान की अरावली पर्वतमाला में स्थित है।

यहाँ में एक लोक कथा का वर्णन करना चाहूँगा।

दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने एक बार इस पर्वत माला  पर आक्रमण किया और पुरे मंदिरों गुफाओंऔर अनेक भवनों को क्षत विक्षत कर दिया। फ़िर वो माता के मदिर की और बढ़ा। कहा जाता है की  तब माता ने भंवरा मधुमखियों से उसकी पूरी सेना पर आक्रमण करवा दिया  
मधुमखियों के दंश  से बेहाल पूरी सेना और  घोडे मैदान छोड़कर भाग गए।
 तब औरंगजेब ने हारकर माता के चरणों में शीश नवाया और  क्षमा याचना की। तब जाकर कहीं उसका पीछा छूटा । माता की शक्ति को जानकर उसने वहां पे भंवरो की रानी के नाम से शुद्ध खालिस सोने की बनी मूर्ति भेंट की और "अखंड ज्योत जलाई" और आज शताब्दियों के बाद भी वो अखंड ज्योत जल रही है।

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कहा जाता है की जीण माता के चरणों में शीश नवाकर जो भी दिल से  से माँगा जाता है वो जरुर पुरा होता।
चैत्र और आश्विन माह में नवरात्री पर्व पर लाखों की संख्या में श्रदालु जीणमाता के दर्शन करने आते है। कुछ लोग तो  नौ दिनों तक मन्दिर  पूजा करते है...
शरद पूर्णिमा और फाल्गुन माह में हर्ष भैरूं मेला यहाँ के मुख्य आकर्षण हटा है  है॥

JEEN MATA TEMPLE Aarti Timings

सुबह :- ४.०० बजे
शाम :- ११.०० बजे तक
Jeen Mata's fair held twice of the year in navratri of chaitra and ashwin months of hindu calender.
जीन माता का मेला  हर साल चैत्र और अश्विन महीने के नवरात्री में भरता  हे.

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